apj abdul kalam biography hindi
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आज हम आपके लिए नया पोस्ट लेकर आये है जिसका नाम है-: apj abdul kalam biography hindi एपीजे अब्दुल कलाम युवा वर्ग के आइडल रहे है।
तो चलिए शुरू करते हैं।
एक ऐसा व्यक्ति जो बचपन में अखबार बांटने जाता था जिसके पूरे परिवार ने अपना पैसा और धंधा खो दिया। वह व्यक्ति भारत का राष्ट्रपति बना और मिसाइल से लेकर सेटेलाइट तक लांच किया। यह है "द मिसाइल मैन ऑफ इंडिया" डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम की अद्भुत कहानी।
apj abdul kalam full name and birthday -:
एपीजे अब्दुल कलाम पूरा नाम अबुल पाकीर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम था उनका जन्म 15 अक्टूबर 1931 में रामेश्वरम में हुआ। अब्दुल कलाम का जन्म एक तमिल मुस्लिम परिवार में हुआ था उनके पिता जैनुलाब्दीन एक मस्जिद के इमाम और एक कश्ती के मालिक थे कलाम की माँ अशिम्मा एक गृहणी थी उनके पिता के पास जो नौका थी उससे वो हिन्दू लोगों को रामेश्वरम से धनुषकोडी और धनुषकोडी से वापस रामेश्वरम ले जाते थे कलाम के 3 बड़े भाई थे और एक बहन थी वह अपने बड़े भाइयों से बहुत जुड़े हुए थे और वह अपनी पूरी जिंदगी उनको थोड़ा थोड़ा पैसा भेजते रहे। कलाम अपनी सरल जिंदगी के लिए जाने जाते थे उन्होंने कभी टीवी नहीं खरीदा और उनकी आदत थी रोज सुबह 6:30 से 7:00 के बीच उठना और रात को 2:00 बजे तक सोने की। धर्म और आध्यात्मिकता उनके लिए बहुत मायने रखती थी यहां तक कि उन्होंने एक किताब लिखी जिसका नाम था "ट्रांससेडेंस" । कलाम के पूर्वज काफी आमिर थे और उनके पास कई एकड़ जमीने थी जब पम्मन पुल का निर्माण हुआ तब उनके परिवार ने लोगों को कश्ती से लाने ले जाने का व्यापार खो दिया क्योकि अब पुल होने की वजह से कश्ती की लोगों को जरूरत नहीं रही इस घटना के बाद उनका व्यापार तहस नहस हुआ लेकिन साथ ही साथ उनके पैसे और जमीन भी धीरे-धीरे खत्म हो गईapj abdul kalam education-:
कलाम की जन्म होने तक उनका परिवार पूरा गरीब हो चुका था और कलाम को छोटी उम्र में ही अखबार बांटने जाना पड़ा जब वह स्कूल गए तब उनके अंक काफी साधारण आते थे लेकिन शिक्षकों के द्वारा उनको हमेशा एक गजब और मेहनत ही छात्र बोला गया और उनमे हमेशा एक चाहत थी पढ़ने कि वह हमेशा गणित पर घंटों तक काम करते थे स्वार्ट्स हाई सेकेंडरी स्कूल में उनकी पढ़ाई होने के बाद वो तिरुचिरापल्ली चले गए जहां पर उन्होंने सेंट जोसेफ कॉलेज में दाखिला लिया और वो 1954 में फिजिक्स के ग्रेजुएट बने।1955 में मद्रास चले गए और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से उन्होंने की । जब वो प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे तब उनके कॉलेज के एक अध्यक्ष ने उनकी प्रगति देखी और वो उससे बिल्कुल प्रभावित नहीं हुए और उन्होंने कलाम को बुलाया और बोला अगर तुमने 3 दिन के अंदर अपना पूरा प्रोजेक्ट नहीं किया तो तुम्हारी स्कॉलरशिप वापिस ले ली जायेगी। कलाम को इंडियन एयरफोर्स ज्वाइन करने की बहुत इच्छा थी लेकिन वो सिर्फ 1 पोजीशन से रह गए थे वो 9 वे स्थान पर थे और सिर्फ 8 पोजीशन खाली थी मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से 1960 में पढ़ाई ख़त्म करने के बाद कलाम एरोनॉटिकल डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट के साथ जुड़ गए वहां पर वह एक साइंटिस्ट की तरह जुड़े उन्होंने अपना करियर एक छोटे होवरक्राफ्ट डिजाइन से चालू किया।![]() |
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apj abdul kalam information in hindi -:
कलाम इंकास्पार कमिटी में भी शामिल थे जहां उन्होंने विक्रम साराभाई के अधीन काम किया। विक्रम साराभाई एक बहुत ही जाने माने स्पेस साइंटिस्ट थे फिर 1969 में कलाम को इसरो यानि इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाईजेशन में तबादला हो गया इसरो में वे इंडिया के पहले सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल जो कि slv-3 में प्रोजेक्ट डायरेक्टर थे इस व्हीकल ने रोहिणी सैटलाइट को धरती के ऑर्बिट में रखा। कलाम ने फिर एक्सपेंडेबल रॉकेट प्रोजेक्ट पर अकेले ही काम करना शुरू कर दिया लेकिन 1969 में भारत सरकार ने उनके प्रोजेक्ट को अनुमति दे दी और कहा कि उनके प्रोजेक्ट पर एक टीम बनाई जाए 1963 में वो नासा रिसर्च सेंटर में भी गए राजा रामन्ना ने कलाम को बुलाया भारत का पहला परमाणु परीक्षण स्माइलिंग बुद्धा को देखने के लिए । कलाम ने प्रोजेक्ट डेविल और प्रोजेक्ट वेलिएन्ट पर भी काम किया और इन प्रोजेक्ट में उन्होंने बैलिस्टिक मिसाइल्स बनाई यूनियन कैबिनेट ने कलाम के प्रोजेक्ट को अनुमति नहीं दी थी लेकिन फिर भी प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने गुप्त रूप से उनको धन दिया ताकि उनके एयरोस्पेस के प्रोजेक्ट्स पुरे हो सके फिर कलाम ने यूनियन कैबिनेट को भी इन गुप्त प्रोजेक्ट्स के बारे में बताया और उनकी महत्वपूर्णता समझायी। इन सब चीजों ने कलाम का नाम बहुत ऊंचा कर दिया इसीलिए भारत सरकार ने उनको उच्च मिसाइल प्रोग्राम चालू करने के लिए बोला काफी सारे मिसाइल प्रोग्राम में भागीदार रहने की वजह से उनको "मिसाइल मैन ऑफ इंडिया" भी कहा जाता है अग्नि मिसाइल और पृथ्वी मिसाइल को बनाने में कलाम का बहुत ही बड़ा योगदान था पृथ्वी और अग्नि मिसाइल की बहुत आलोचना हुई थी क्योकि उनको बनाने में काफी समय और पैसा लगा और इसका मैनेजमेंट ठीक से नहीं हो पाया।
1992 से लेकर 1999 तक वो चीफ साइंटफिक एडवाइजर रहे और इस दौरान पोखरण 2 न्यूक्लियर परीक्षण भी किया । इस न्यूक्लियर परिक्षण ने मीडिया में कलाम का नाम काफी ऊंचा कर दिया था लेकिन साइट के डायरेक्टर के. संथानम ने कहा थर्मोन्यूक्लियर बम का परीक्षण अपेक्षित परिणाम नहीं दे पाया और यह एक असफल घटना थी और उन्होंने कलाम की आलोचना की और कहा कि जो उन्होंने रिपोर्ट दी है वह गलत है लेकिन फिर चिदंबरम और कलाम दोनों ने इस बात को खारिज कर दिया फिर कलाम की जिंदगी में बहुत ही बड़ा मोड़ आया 10 जून 2002 को एनडीए यानी नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस ने कलाम को राष्ट्रपति के लिए नॉमिनेट किया समाजवादी पार्टी और नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी दोनों ने इस बात का समर्थन किया और फिर वह भारत के 11वें राष्ट्रपति बने। 2002 में चुनाव हुआ और कलाम ने विशाल जीत हासिल की उनको 900000 से भी ज्यादा वोट मिले और उनके प्रतिद्वंदी लष्मी सहगल को करीबन 107366 वोट ही मिल पाई थी ये जीत बहुत ही बाड़ी जीत थी। कलाम को भारत का सबसे बड़ा सिविलियन सम्मान भी दिया गया "भारत रत्न" के साथ साथ उनको "पद्म विभूषण" और "पद्म भूषण" सम्मानित किया गया जब तक वो प्रेसिडेंट बने रहे तब तक वो लोगों प्रेसिडेंट के नाम से प्रचलित हुए। जब उनके 5 साल राष्ट्रपति के तौर पर खत्म हो गए तब उन्होंने वापस राष्ट्रपति बनने की इच्छा प्रकट की। लेकिन ये बोलने के लिए दो ही दिन बाद उन्होंने फैसला लिया कि वो प्रेसीडेंशियल इलेक्शन में खड़े नहीं होंगे इसके बाद वह शिलांग, इंदौर और अहमदाबाद के आय आय एम के विज़िटर प्रोफेसर बन गए। वो इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ स्पेस साइंस टेक्नोलॉजी तिरुवंतपुरम के चांसलर बने और अन्ना यूनिवर्सिटी में एयरोस्पेस के प्रोफेसर भी बने और भी वो कई इंस्टिट्यूट ज्वाइन किये। 2012 में भारत के जवान लोगो के लिए उन्होंने एक प्रोग्राम बनाया what can I give movement ये प्रोग्राम भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए था।
apj abdul kalam books
कलाम ने काफी सारी बुक भी लिखी जैसे -:IGNITED MINDS ,VISION 2020,MY JOURNEY,TURNING POINTS और इंडिया 2020,विंग्स ऑफ़ फायर, इगनाइटेड माइंड्स और यह सारी बुक काफी पॉपुलर हुई।![]() |
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abdul kalam death date -:
27 जुलाई 2015 में कलाम शिलॉन्ग चले गए। जहां पर उनको creating a livable planet earth पर लेक्चर देना था। ये लेक्चर उनको IIM शिलॉन्ग में देना था जब वो सीढ़ी चढ़ रहे थे तब उनको बेचैनी सी हुई और ऑडिटोरियम में जाने के बाद उन्होंने थोड़ा आराम किया 6:35 पर लेक्चर शुरू होने के सिर्फ 5 मिनट ही हुए थे और वो गिर गए और उनको फिर बेथनी हॉस्पिटल में भर्ती कराया और वह 7:45 पर दुनिया छोड़कर चले गए उन्होंने अपने आखिरी शब्द श्री जनपाल सिंह से बोले उन्होंने कहा funny guy are you doing well. एपीजे अब्दुल कलाम सब के लिए एक प्रेरणा का स्त्रोत बने हुए हैं खासकर युवा उनको अपना आइडल मानते हैं तो यह थी डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की life story तो कैसी लगी ये आपको ये पोस्ट कमेंट जरूर करें।
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